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अंबिका दत्त व्यास वाक्य

उच्चारण: [ anebikaa dett veyaas ]
उदाहरण वाक्यमोबाइल
  • * हिंदी का प्रथम विज्ञान गल्प-‘ आश्चर्यवृत्तांत ' (अंबिका दत्त व्यास ; 1884-1888)
  • अंबिका दत्त व्यास (1858-1900) अत्यल्प वय में गोलोकवासी हो गए लेकिन वे अत्यंत प्रातिभ कलाकार थे, उन्होंने अल्प वय में प्रौढ़ प्रज्ञा प्राप्त की थी।
  • अंबिका दत्त व्यास (1858-1900) अत्यल्प वय में गोलोकवासी हो गए लेकिन वे अत्यंत प्रातिभ कलाकार थे, उन्होंने अल्प वय में प्रौढ़ प्रज्ञा प्राप्त की थी।
  • पं. अंबिका दत्त व्यास की ‘आश्चर्य-वृत्तांत' नाम की, और पं. बाल कृष्ण भट्ट की ‘नूतन ब्रह्यचारी' नामक कहानियां संभवतः इसके पहिले की प्रकाशित हो चुकी थीं।
  • पं. अंबिका दत्त व्यास की ‘आश्चर्य-वृत्तांत' नाम की, और पं. बाल कृष्ण भट्ट की ‘नूतन ब्रह्यचारी' नामक कहानियां संभवतः इसके पहिले की प्रकाशित हो चुकी थीं।
  • अंबिका दत्त व्यास ने स्व-संपादित पत्रिका ‘पीयूसी-प्रवाह ' में धारावाहिक रूप से ‘आश्चर्यवृत्तांत' का प्रकाशन किया था (1884-1888) जिसका प्रथम मुद्रण व्यास यंत्रालय, भागलपुर से 1893 में हुआ था।
  • अंबिका दत्त व्यास ने स्व-संपादित पत्रिका ‘पीयूसी-प्रवाह ' में धारावाहिक रूप से ‘आश्चर्यवृत्तांत' का प्रकाशन किया था (1884-1888) जिसका प्रथम मुद्रण व्यास यंत्रालय, भागलपुर से 1893 में हुआ था।
  • अंबिका दत्त व्यास (1858-1900) अत्यल्प वय में गोलोकवासी हो गए लेकिन वे अत्यंत प्रातिभ कलाकार थे, उन्होंने अल्प वय में प्रौढ़ प्रज्ञा प्राप्त की थी।
  • पं. अंबिका दत्त व्यास की ‘ आश्चर्य-वृत्तांत ' नाम की, और पं. बाल कृष्ण भट्ट की ‘ नूतन ब्रह्यचारी ' नामक कहानियां संभवतः इसके पहिले की प्रकाशित हो चुकी थीं।
  • अंबिका दत्त व्यास ने स्व-संपादित पत्रिका ‘ पीयूसी-प्रवाह ' में धारावाहिक रूप से ‘ आश्चर्यवृत्तांत ' का प्रकाशन किया था (1884-1888) जिसका प्रथम मुद्रण व्यास यंत्रालय, भागलपुर से 1893 में हुआ था।
  • हिंदी में ऐयारी और तिलस्मी उपन्यासों के जनक देवकी नंदन खत्री जब चंद्रकांता (1892) के साथ हिंदी में प्रकट हुए तो प्रायः उसी काल में अंबिका दत्त व्यास विरचित आश्चर्य-वृत्तांत ने भी हिंदी में विज्ञान गल्प लेखन की नयी सरणि निर्मित की।
  • हिंदी में ऐयारी और तिलस्मी उपन्यासों के जनक देवकी नंदन खत्री जब चंद्रकांता (1892) के साथ हिंदी में प्रकट हुए तो प्रायः उसी काल में अंबिका दत्त व्यास विरचित आश्चर्य-वृत्तांत ने भी हिंदी में विज्ञान गल्प लेखन की नयी सरणि निर्मित की।
  • हिंदी में ऐयारी और तिलस्मी उपन्यासों के जनक देवकी नंदन खत्री जब चंद्रकांता (1892) के साथ हिंदी में प्रकट हुए तो प्रायः उसी काल में अंबिका दत्त व्यास विरचित आश्चर्य-वृत्तांत ने भी हिंदी में विज्ञान गल्प लेखन की नयी सरणि निर्मित की।
  • डॉ. शिव गोपाल मिश्र ने अपनी पुस्तक ' हिन्दी में स्वतंत्रता परवर्ती विज्ञान लेखन ' में लिखा है कि विज्ञान लेखन का श्री गणेश तो 1884-88 में ही हो चुका था जब ' पीयूष प्रवाह ' में अंबिका दत्त व्यास की विज्ञान कथा ' आश्चर्य वृतांत ' प्रकाशित हुई थी।

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